रात भर सर्द हवा चलती रही
रात भर हमने अलाव तापा
मैंने माज़ी से कई खुश्क सी शाखें काटी
तुमने भी गुजरे हुए लमहों के पत्ते तोड़े
मैंने जेबों से निकाली सभी सूखी नज़्में
तुमने भी हाथों से मुरझाए हुए ख़त खोले
अपनी इन आँखों से मैंने कई मांजे तोड़े
और हाथों से कई बासी लकीरें फेंकी
तुमने भी पलकों पे नमी सूख गई थी, सो गिरा दी
रात भर जो भी मिला उगते बदन पर हमको
काट के डाल दिया जलते अलावों में उसे
रात भर फूकों से हर लौ को जगाए रखा
और दो जिस्मों के ईंधन को जलाए रखा
रात भर बुझते हुए रिश्ते को तापा हमने..
रात भर हमने अलाव तापा
मैंने माज़ी से कई खुश्क सी शाखें काटी
तुमने भी गुजरे हुए लमहों के पत्ते तोड़े
मैंने जेबों से निकाली सभी सूखी नज़्में
तुमने भी हाथों से मुरझाए हुए ख़त खोले
अपनी इन आँखों से मैंने कई मांजे तोड़े
और हाथों से कई बासी लकीरें फेंकी
तुमने भी पलकों पे नमी सूख गई थी, सो गिरा दी
रात भर जो भी मिला उगते बदन पर हमको
काट के डाल दिया जलते अलावों में उसे
रात भर फूकों से हर लौ को जगाए रखा
और दो जिस्मों के ईंधन को जलाए रखा
रात भर बुझते हुए रिश्ते को तापा हमने..
1 comment:
http://www.youtube.com/watch?v=wTFxS7qUdAw
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