Tuesday, September 1, 2009

वोह दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे

वोह दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे
मैं तुझ को भूल के ज़िंदा रहूँ खुदा न करे

रहेगा साथ तेरा प्यार ज़िंदगी बन कर
यह और बात, मेरी ज़िंदगी वफ़ा न करे

यह ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में
खुदा किसी से किस्सी को मगर जुदा न करे

सूना है उसको मोहब्बत दुआएं देती है
जो दिल पे चोट तो खाए मगर गिला न करे

बुझा दिया है नसीबों ने मेरे प्यार का चांद
कोई दिया मेरी पलकों पे अब जला न करे

ज़माना देख चुका है परख चुका है उसे
कतील जान से जाये पर इल्तिजा न करे

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