Friday, August 28, 2009

कौन है किस जगह पता रखना

जाने वालों से राब्ता रखना
दोस्तो रस्म-ए-फातिहा रखना

घर की तामीर चाहे जैसी हो
इसमें रोने की कुछ जगह रखना

मस्जिदें हैं नमाजियों के लिए
अपने घर में कहीं खुदा रखना

जिस्म में फैलने लगा है शहर
अपनी तन्हाईयाँ बचा रखना


उमर करने को है पचास को पार
कौन है किस जगह पता रखना

2 comments:

Amit said...

राब्ता-सम्पर्क
raabta-connection, link

DAVCOLOR said...

Very nice one